Monday, April 4, 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ गुरु-गोविन्द दोनों मैदान में


अनिल सौमित्र
भ्रष्टाचार के खिलाफ गोविन्दाचार्य और गुरुमूर्ति फिर मैदान में हैं । बाबा रामदेव ने गुरु-गोविन्द दोनों को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम मे अपना संरक्षण दिया है। उनके साथ हैं पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम.एन. वेंकटचेलैया और न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा, जनता पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी, आईबी के पूर्व निदेशक अजीत डोबाल, वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक और भीष्म अग्निहोत्री जैसे विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज । अन्ना हजारे, किरण बेदी, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, राम जेठमलानी, अरविंद केजरीवाल जैसे सामाजिक, कानूनी और प्रशासनिक क्षेत्र के अनुभवी लोग पहले ही हल्ला बोल चुके हैं। लोकसभा के पूर्व महासचिव श्री सुभाष सी कश्यप, पत्रकार श्री एम.डी. नलपत, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. अरुण कुमार एवं पूर्व राजदूत सतीशचन्द्र, पूर्व प्रशासक भूरेलाल और बी. आर. लाल एवं सी. बी. आई के पूर्व निदेशक श्री जोगिन्दर सिंह, अमेरिका के कर सलाहकार श्री डेविड स्पेंसर, रोनाल्ड लोमे, नुरिआ मोलिना ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मुहिम में साथ देने की इच्छा जाहिर की है।
30 जनवरी को नयी दिल्ली के रामलीला मैदान मे शायद पहली बार बिना किसी राजनैतिक पार्टी के सहयोग अथवा आह्वान के बिना भ्रष्टाचार के विरुद्ध ऎसा हल्ला बोल हुआ। इसमे जस्टिस संतोष हेगड़े, जे.एम .लिंगदोह, स्वामी अग्निवेश तथा आर्चबिशप विन्सेंट एम. कोंसेसाओ सहित तमाम संगठनों, विचारों और क्षेत्रों के लोग एक मंच पर आये । जन लोकपाल बिल पर सरकार और समाज आमने-सामने है. सोनिया-मनमोहन लोकपाल बिल पर मनमानी चाहते है । लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने साफ कर दिया है कि जन लोकपाल बिल वही होगा जिसका मसौदा सामाजिक क्षेत्र के लागों ने तैयार किया है । इसी को लेकर वे 5 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन कर रहे है. उनके समर्थन मे देशभर के लोग उपवास रखेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ संकल्प लेंगे.
राजनीतिक विचारक और स्वदेशी चिंतक गोविन्दाचार्य ने भी देश की नब्ज समझ ली है. वर्षो की संचित ताकत को वे इस भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम मे झोंक देना चाहते है। देश का हाल बेहाल है। आमजन लूट-पिट रहा है. राजनेता, उद्दोगपति और नौकरशाही माला-माल है। राजनीतिक दल चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष – गलबहिया खेल रहे है। विडम्बना यह है कि सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री के कार्यकाल मे सर्वाधिक भ्रष्टाचार है. प्रधानमंत्री अर्थशास्त्र के विद्वान है, लेकिन देश महंगाई से त्रस्त है। आम नागरिकों का धैर्य टूट गया है. गोविन्दाचार्य समझ गये है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हथौडा आजमाने का वक्त आ गया है। 1 और 2 अप्रैल को दिल्ली के विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन में दुनिया भर से दर्जनों और देशभर से सैकडों सामाजिक इकट्ठा हुए। लोग आये तो थे सेमीनार में, लेकिन जाते-जाते "भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा" बनाने के संकल्प करते गये। योग गुरु स्वामी रामदेव के संरक्षण में बने इस मोर्चे के संयोजक के. एन. गोविन्दाचार्य एवं सह- संयोजक आईआईएम बेंगुलुरु के प्रो. श्री आर. वैद्यनाथन और श्री भूरे लाल होंगे। श्री एस. गुरुमूर्ति, श्री अजित डोबाल, श्री वेद प्रताप वैदिक और श्री भीष्म अग्निहोत्री इस मोर्चे सदस्य होंगे। यही समिति भ्रष्टाचार के विरोध में बनने वाली सारी योजनाओं और रणनीतियों का खाका तैयार करेगी। जल्द ही राज्यों में भी इस मोर्चे की ईकाइयां गठित कर दी जायेंगी। स्वामी रामदेव जी ने 2 दिन के सेमीनार के अंत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए इस विषय से जुड़े प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संघठनो से अपील की कि वे भी अपनी-अपनी विचारधाराओं से ऊपर उठ कर इस जंग में शामिल हो।
गौरतलब है कि विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउन्डेशन के तत्वावधान में ‘‘शासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही : भारतीय परिपेक्ष्य एवं अन्तरराष्ट्रीय अनुभव’’ विषय पर दो दिवसीय सेमीनार के बहाने यह सब हुआ। दोनों दिन राजनीति, खुफिया, अर्थशास्त्र और सामाजिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या के स्वरुप, पहलू और परिणाम पर गहन विचार किया।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम.एन. वेंकटचेलैया ने कहा कि शासन का उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री का होता है । प्रधानमंत्री जैसा चलेंगे वैसा ही देश चलेगा । वर्तमान में सरकारों के पास न तो दृष्टि और न ही ध्येय । दृष्टि और ध्येय से ही जनकल्याण की भावना उत्पन्न होती है । उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और काले धन का मामला तो संसद कानून बनाकर चुटकियों में हल कर सकती है । जनता पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि काला धन और भ्रष्टाचार देश के सामने एक बड़ा खतरा है। श्री एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि भ्रष्टाचार से पैदा हुआ करोड़ों रू. विदेशों में जमा है। यह पैसा हमारे देश में हथियार और नशीले पदार्थों के रूप में आता है । विदेश की बात तो छोड़ें, देश में ही एक नहीं अनेक हसन अली है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी दोनों एक्सपोज होने चाहिये। भ्रष्टाचार को दंडित होने के लिये इसका खुलासा बहुत जरुरी है। रुस की खुफिया एजेंसी केजीबी द्वारा राजीव गान्धी के परिवार को पैसा देना दस्तावेजो में मौजूद है, लेकिन सब चुप है।
गोविंदाचार्य ने कहा कि अभी सब कुछ खत्म नही हुआ है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में जिद्द और संकल्प चाहिये। देश में राजनीतिक व्यवस्था से लोगों का विश्वास उठ चुका है। सत्ता पक्ष और विपक्ष का भेद खत्म हो चुका है। सरकार पर सत्ता लिप्सा, हिस्ट्रीशीटरों और धनबल की चादर चढ गई है। भारतीय राज्य, भारतीय लोगों के ही खिलाफ संघर्ष कर रहा है। अपराध और भ्रषटाचार का अन्तरराष्ट्री यकरण हो गया है। ऎसी स्थिति में हमें वाक् विलास से आगे की सोचना चाहिये। जाहिर है वे सेमीनार को आन्दोलन की शक्ल देना चाह्ते थे। वे जो चाहते थे वही हुआ। गोविन्दाचार्य चाह्ते है कि देश की समस्या का उपाय राजनीतिक और गैर-राजनीतिक दोनो मोर्चों पर हो। हालांकि उनके पास समय और संसाधन दोनो बहुत कम है। लेकिन वे अपनी ताकत बखूबी जानते है। इस मुहिम में आरएसएस उनके साथ है। बाबा रामदेव के संरक्षण से उन्हें एक बडी ताकत मिली है। जयप्रकाश आन्दोलन के सिपाही बेशक उनका साथ देंगे। भ्रष्टाचार ऎसा मुद्दा जो विचारधारा, दल और संगठन से परे हो गया है। इस मुहिम में कोई वैचारिक अडचन नहीं है। जयप्रकाश आन्दोलन के बाद एक बार फिर देश व्यवस्था परिवर्तन के लिये तैयार खडा है। सामाजिक आन्दोलनों के नेताओं ने मौके की नजाकत भांप ली है। इकट्ठा होने और देश को इकट्ठा करने की कवायद शुरु हो चुकी है। अन्ना की आवाज को गोविन्द ने हुंकार दी है। जनता पहले से ही कोपाकुल है। उसकी भृकुटि चढी हुई है। लेकिन इस बार सिर्फ सिंहासन खाली करने या भरने की नही, बल्कि व्यवस्था को झंकझोडने की, उसे नई व्यवस्था देने की बात है।
बहरहाल गोविन्दाचार्य के पास खोने को कुछ नही है। वे कई मोर्चों पर कवायद मे जुटे है। वे रचनात्मक, आन्दोलनात्मक और बौद्धिक तीनों ही आयामों पर प्रयोग कर रहे हैं। राजनीतिक तौर पर राष्ट्र्वादी मोर्चा, नये संविधान-सभा के गठन और शासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं के जुटान उन्होंने साहसिक पहल की है। सिर्फ राजनैतिक मोर्चे पर ही अब दो तक दर्जन से अधिक छोटे-छोटे दल साथ आ चुके है। अगर सफल हुए तो इतिहास रच जायेंगे, असफल हुए तो भी रास्ता तो दिखा ही जायेंगे।

Monday, November 16, 2009

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् की अभिनव पहल
भोपाल में स्थापित होगा ग्रामीण प्रौद्योगिकी केन्द्र

भोपाल। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगि (मैपकाॅस्ट) की परिषद् ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग किया है। मैपकाॅस्ट द्वारा एक तरफ जहां परंपरागत विज्ञान को संरक्षित करने के लिए दस्वावेजीकरण किया जा रहा है वहीं भोपाल में ग्रामीण प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना भी की जा रही है। 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल में ग्रामीण प्रौद्योगिकी के प्रमुख मेजर एस. चटर्जी और परिषद के महानिदेशक डाॅ. प्रमोद कुमार वर्मा सहित सैकड़ों कारीगरों और शिल्पियों के समक्ष ग्रामीण प्रौद्योगिकी केन्द्र के स्थापना की घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म एक-दूसरे के पूरक हैं। भारत में प्राचीन काल से ही ज्ञान और विज्ञान की उन्नत परंपरा रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम ग्रामीण प्रौद्योगिकी की पहचान कर उसे स्वावलंबन और विकास के साथ ही रोजगार का जरिया भी बनाएं। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर इस प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केन्द्र प्रदेश में व्याप्त ग्रामीण प्रौद्योगिकी की पहचान कर परंपरागत ज्ञान एवं उनके जानकार लोगों को बढ़ावा देकर संरक्षण और संवर्द्धन का काम करेगी। श्री चैहान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय ‘‘मध्यप्रदेश ग्रामीण प्रौद्योगिकी पर्व’’ के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सार्थकता तभी है, जब इसका लाभ गरीबों, श्ल्पिियों और कारीगरों को मिले। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय गांवों की सम्पन्न वैज्ञानिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि पुराने जमाने में भारत के ग्राम पूर्णतया सक्षम और आत्मनिर्भर इकाइ थे। गांव अपनी जरूरतों और आवश्यक परिवर्तनों के हिसाब से प्रौद्योगिकी का विकास भी करते थे। हमें पुनः वैसी स्थिति पैदा करनी है, ताकि प्रदेश के गांवों को आत्मनिर्भर, सम्पन्न और सक्षम बनाया जा सके। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने परिषद द्वारा ्तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी किया। प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए एनजीओ, कारीगरों और शिल्पियों ने स्वयं के द्वारा निर्मित सामग्रियों की प्रदर्शनी भी लगाई थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश शासन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री विजयवर्गीय ने कहा कि पूरे देश और विशेषकर मध्यप्रदेश में ज्ञान-विज्ञान बिखरा पड़ा है। आज जरूरत इस बात की है कि ग्रामीण और जनजातीय अंचलों में व्याप्त वैज्ञानिक पद्धतियों को सहेजकर रखा जाए। ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आम लोगों की भाषा में उपलब्ध कराना भी अत्यन्त आवश्यक है। इसी मद्देनजर विज्ञान को स्थानीय भाषा में प्रस्तुत करने और जानने की कोशिश की जा रही है।
प्रधानमंत्री के वैेज्ञानिक सलाहकार मंडल के वरिष्ठ सदस्य मेजर एस. चटर्जी इस अवसर पर विशेषरूप से उपस्थित थे। मेजर चटर्जी ने कहा कि मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्में शीघ्र ही भारत सरकार के ग्रामीण प्रौद्योगिकी संकाय का नोडल सेन्टर स्थापित किया जायेगा।
परिषद् के महानिदेशक डाॅ. पी. के. वर्मा ने इस अवसर पर मैपकाॅस्ट की गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए राज्य शासन और केन्द्र सरकार को अपनी अपेक्षाओं से भी अवगत कराया।
मध्यप्रदेश ग्रामीण प्रौद्योगिकी पर्व के शुभारंभ अवसर भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. सिंह, राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. पीयूष त्रिवेदी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. भरत सिंह, डाॅ. आर.एस. श्रीवास्तव और डाॅ. राजेन्द्र श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित थे। दो दिवसीय ग्रामीण प्रौद्योगिकी पर्व पर 22 जिलों के 200 से अधिक कारीगर और शिल्पी अपने उत्पादों के साथ उपस्थित थे। इस अवसर पर परिषद् के परिसर में 50 स्टाॅल भी लगाए गए थे।

अंतरराष्ट्रीय वेधशाला और हाइब्रिड तारा मंडल उज्जैन में
मैपकाॅस्ट के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश शर्मा ने जानकारी दी कि उज्जैन में देश का पहला हाइब्रिड तारामंडल और अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेधशाला निर्माणाधीन है। यह तारामंडल विश्व का चैथा और भारत का पहला तारामंडल होगा।
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा विभिन्न सम्मानों की घोषणा

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने शिक्षा, संगीत और पटकथा लेखन आदि के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने सामाजिक सद्भाव, समरसता, सुगम संगीत, निर्देशन, अभिनय, पटकथा एवं गीत लेखन विधाओं के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित करने की घोषणा की है। वर्ष 2009-10 के लिए सामाजिक सद्भाव, समरसता और श्रेष्टतम उपलब्धियों के लिए स्थापित महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान, शिक्षा के क्षेत्र में समग्र रचनात्मक अवदान, सृजनात्मक एवं श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिए महर्षि वेदव्यास राष्ट्रीय सम्मान, सुगम संगीत के क्षेत्र में स्थापित लतामंगेशकर सम्मान एवं निर्देशन, अभिनय पटकथा एवं गीत लेखन विधाओं के लिए दिए जाने वाले राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान की घोषणा की गई है। बेल्लूर मठ में स्थापित रामकृष्ण मिशन को इस वर्ष का महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान, नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती का महर्षि वेदव्यास राष्ट्रीय सम्मान, हिन्दी सिनेमा के प्रख्यात संगीतकार श्री रवि को वर्ष 2008-09 का राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान और स्व. गुलशन बावरा को वर्ष 2008-09 के राष्ट्रीय किशोर सम्मान से विभूषित किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि इन सम्मानों के तहत दो-दो लाख रूपये की आयकर मुक्त राशि, सम्मान पट्टिका, शाल व श्रीफल विभाग द्वारा दिया जाजा है।
उक्त पुरस्कारों और सम्मानों की जानकारी देते हुए प्रदेश के संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि सम्मान संबंधी सभी निर्णय राज्य शासन द्वारा गठित चयन समिति के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया है। महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान की चयन समिति में सर्वश्री नारायण प्रसाद गुप्ता, रमेशचन्द्र अग्रवाल, ललित सुरजन, प्रभात कुमार भट्टाचार्य और राजेन्द्र कोठारी शामिल थे। गौरतलब है कि इस सम्मान से विभूषित होने वाली संस्था रामकृष्ण मिशन वर्ष 1909 से पंजीकृत है और विश्व के अनेक देशों में संस्था की शाखाएं शिक्षा, चिकित्सा एवं समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है।
महर्षि वेदव्यास राष्ट्रीय सम्मान की चयन समिति में सर्वश्री सच्चिदानंद जोशी, प्रो. हीराराल शुक्ल, श्री जगदीश तोमर, श्री कृष्ण कुमार अष्ठाना एवं राजीव माहन गुप्त शामिल थे। शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। विद्या भारती, शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत सबसे बड़ा गैर शासकीय संस्थान है। लक्ष्यद्वीप और मिजोरम प्रांतों के साथ ही भारत के 56 प्रांतीय और क्षेत्रीय समितियां विद्या भारती से सम्बद्ध हैं। विद्या भारती के अंतर्गत 13 हजार से अधिक शिक्षण संस्थाओं में 74 हजार के मार्गदर्शन में 17 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा प्रापत कर रही हैं।
इसी प्रकार राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान की चयन समिति में सुश्री भावना सोमैया, सर्वश्री नितिन मुकेश, ओम थानवी और रवीन्द्र जैन शामिल थे। इस सम्मान से विभूषित होने वाले प्रख्यात सिने-संगीतकार श्री रवि, बीसवीं सदी के छठवें दशक में सक्रिय एक ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अपने समय का श्रेष्ठ और कालजयी संगीत दिया। श्री रवि की चर्चित फिल्मों में -दिल्ली का ठग, चैदहवीं का चांद, घंूघट, तराना, नजराना, चायना टाउन, आज और कल, गुमराह, काजल, खनदान, वक्त, फूल और पत्थर, औरत, हमराज, आंखें, नील कमल, एक फूल दो माली आदि शामिल हैं।
संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने के अनुसार वर्ष 2008-09 के राष्ट्रीय किशोर कुणाल सम्मान से विभूषित होने वाले दिवंगत गीतकार स्व. गुलशन बावरा ने उपकार फिल्म के लिए मेरे देश की धरती जैसा यादगार गीत लिखा था। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण फिल्मों के लिए मधुर गीत की रचना की है जिसमें जंजीर, दुल्हा-दुल्हन, विश्वास, जाने-अनजाने, कस्मे वादे, सत्ते पे सत्ता, अगर तुम न होते, पवित्र पापी आदि फिल्में शामिल हैं। स्व. गुलशन बामरा का हाल में निधन हो गया। चयन समिति द्वारा निर्णय लिए जाते समय वे जीवित थे। 13 अक्टूबर को खंडवा में आयोजित समारोह में यह सम्मान उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अंजु मेहता प्राप्त करेंगी।

डाॅ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय पुरातत्व सम्मान प्रो. बी.बी. लाल को

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन ने विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों की श्रृंखला में एक सम्मान की घोषणा की है। राज्य शासन के संस्कृति और जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने डाॅ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय पुरातत्व सम्मान की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि पुरातत्व के संरक्षण एवं पुरातात्विक संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्ट प्रतिभा को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा यह सम्मान दिया जाता है। वर्ष 2008-09 के लिए यह सम्मान सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् प्रो. बी.बी. लाल को देने का निर्णय किया गया है। राज्य शासन द्वारा इस सम्मान के तहत 2 लाख रू. की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
राज्य शासन ने सम्मान के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस चयन समिति में सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् प्रो. डी.एन. त्रिपाठी, प्रो. आर. सी. अग्रवाल, और डाॅ. बी. आर. मणि थे। चयन समिति ने सर्व सम्मति से प्रो. बी.बी. लाल का चयन इस सम्मान के लिए किया है। प्रो. लाल ने पुरातत्व, प्राच्यविद्या एवं भारतीय संस्कृति तथा परंपरा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत सरकार ने पूर्व में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है। 1921 में उत्तरप्रदेश के झांसी में जन्मे प्रो. लाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक रह चुके हैं। पुरातत्व से संबंधित अनेक शोधपरक ग्रंथों की रचना प्रो. लाल ने की है, इन ग्रंथों में - शिशुपाल गढ़ 1948: एन अर्ली हिस्टोरिकल फोर्ट इन इस्टर्न इंडिया, बीरभानपुर: माइक्रोलिथिक साइट इन द दामोदर वैली, इंडियन आर्कियाॅलोजी सिन्स इंडिपेन्डेंस, द आर्लिएस्ट सिविलाइजेशन आॅफ साउथ एशिया आदि पुसतकें महत्वपूर्ण हैं।